*द्शैं: जातर* और *राष्ट्रीय मानव संग्रहालय-2009* फेम के किशन हाँस ने मुझे एक VCD दी है. उस पर लिखा है – ‘चेस्पा’ . साथ में रोमन में लिखा है- beloved. कवर काफी चित्ताकर्षक है. खासा एस्थेटिक और एथनिक भी. एक सामंती झरोखे से दो युवतियाँ झाँक रहीं हैं. गले में मूँगा फिरोज़ा के हार लटकाए, सिर पे गोल स्वाङ्ला टोपियाँ सज रहीं हैं. पिछली तरफ गायकों के फोटू हैं. तथा अनेक बार एवरेस्ट पर चढ़ने वाले कमांडेंट चोचो प्रेम सिंह जी का रौबीला पोज़ है. बीच में राजेन्द्र जॉनी का नाम लिखा है. दाहिने कोने मे नीचे की ओर लायुल सुर संगम का बैनर लगा है. उस के ठीक ऊपर कीमत लिखी गई है- 65/- (शुल्क सहित) . मैं पूछता हूँ इस का क्या करना है? भाई कहता है कुछ टिप्पणी करो. पिछली बार भी नहीं किया. लो जी, तयार हो जाओ नुक्ता चीनी सुनने के लिए. माजि सङ थचेतुओ. रैपर खोल कर CD कम्प्यूटर में फँसाता हूँ.
भीतर चोचो प्रेम की उपलब्धियों पर एक लघु वृत्त चित्र है. पुष्पा बोध ने बड़े शऊर और सलीक़े से कमेंट्री की है. उस के बाद पाँच नए गीत . एक बुनन भाषा में. चार पट्टनी में. अखीर में एक घुरे.
पहला गीत चोचो प्रेम की प्रशस्ति है. मेहनत नहीं की गई है. बजाय इस सब को यहाँ शामिल करने के इस जुझारू शख्सियत पर अलग से एक विस्तृत डॉक्युमेंट्री बनती तो बेह्तर रहता.
शीर्षक नम्बर ‘चेस्पा’ आश्वस्त करता है. वाँगचुक ने अद्भुत प्रेम गीत लिखा है, आप तय नहीं कर पाते कि प्रशंसा गीतकार की करी जाय या कि बुनन (गाहरी) भाषा की ताक़त की ! मॉडल प्रीति और पूरन का काम पेशेवरों जैसा है. शानदार फेस एक्स्प्रेशन्ज़, भव्य और मर्यादित बॉडी मूवमेंट्स, सटीक लिपसिंक.... एक पुर् खुलूस् , पुरसुकून और ‘सॉबर’ कम्पोज़िशन. आप फौरन अपने फेवरिट्स में *सेव* करते हैं.
तीसरा गीत ‘सेम रणिगा’ दरअसल लोकप्रिय नेपाली पॉप नम्बर ‘ चक्लेट सूपारी’ की नकल (मतलब् धुन उसकी) है.. कमज़ोर अदाकारी . लेकिन गाया बड़े दिल से है. फीमेल मॉडल (नाम पता नहीं लगा) अच्छी प्रेज़ेंटेबल दिखती है लेकिन आत्म विश्वास की कमी है. SBI वाले जय सिह हाँस तो असुविधाजनक रूप से (कुछ अधिक ही) *भारी* दिखतें हैं. आप वो मूल वीडियो ‘बट्वाले फरके र हेर्ला’ देख लीजिए , बात समझ में आ जाएगी.
चौथा गीत ‘देशो फौजीरे’ देशभक्ति का गीत है. ढेर सारी क्लिप्पिंग्स मे से एकाध शायद धरमेन्द्र वाले श्वेत शाम हक़ीकत से( दोतु पौह्लरिङ लेका) चेप दी गई हैं. गीत में एक शब्द ज़्यादा ही अखरता है. * तिङ्ञारिङ* ञुक्चा चक्तिरे. ....*शुजरिङ* क्या बुरा था ? रामदेव कका माफ करेंगे. .............
पाँचवे गीत तक आते आते आप डिस्प्रिन खाने की स्थिति में पहुँच जाएंगे.... कि अचानक माईक हाथ मे थामे *जॉनी भाई* स्टेज पे नज़र आते हैं. साथ में SBI, FCI और ITO कुल्लू के साजिन्दों को देख कर आप चौकन्ने हो जाएंगे. अरे ये तो *शामू वगैरे* ( पी कर बैठे हुए) नहीं हैं ? कैसे सीरियस हो कर *बजा* रहे हैं. इस वीडियो की मॉडल ठीक जच रही है और कंफिडेण्ट लग रही है. ...... गाना घरसंगी का है-- तीस साल पुराना ‘अंग्मो’ . मामूली छेड़खानी के साथ. खम्लोक्स ! यूथ फेस्तिवल्ज़ बची हुई सभी खुरचनें और खारिशें कुरेद गया. एक भाई तो *क्या ........ नाच* रहा है. उसे क्या पता कि अंग्मो *बलु कका* की स्मृतियों में बसी पिछली सदी के आठ्वें दशक की प्राचीन नायिका है. चुप जोरे ! खैर , किसी अच्छे नए DJ वगैरा के हाथ लग गया तो इस का मस्त रीमिक्स वर्जन बन सकता है.
अंतिम यर् घीत (घुरे) गुरु घण्टाल के पुनर्निर्माण के बारे है. जल्द्बाज़ी मे बनाया गया वीडिओ निराश करता है.
यह सब देखते हुए आप के जेहन में इस के पूर्व वर्ती अल्बम घूमते रहते हैं. .... शगुन, भौँरा, दशैं: जातर.... आदि आदि. तब से काफी कुछ सुधरा है. काफी सुधार की गुंजाईश बाक़ी है. कुछ नई गलतियाँ हुई हैं. कुछ पुरानी रिपीट हुईं हैं. निर्माताओं की मज़बूरियाँ भी दिखती हैं. रोकड़ा . हमारा मार्केट बहुत छोटा है. आप मन ही मन एक और अल्बम की परिकल्पना करते हैं. यही सच्ची कला की पहचान भी है. यह आप को *और बेह्तर* के लिए उकसाता है. आखिर इम्प्रोवाईज़ेशन से ही हम पर्फेक्शन तक पहुँचते हैं. और यह सतत सामूहिक प्रक्रिया है. संगीत में बहुत सुधार है. एडिटिंग भी अच्छी हुई है. फुंचोग डोल्मा की आवाज़ साधारण लेकिन कर्ण प्रिय है. समीर हाँस ने ठीक गाया है. उच्चारण मे स्पष्टता लानी होगी. शब्द समझने के लिए अतिरिक्त ध्यान देना पड़ रहा है. देव कोड़्फा अभिभूत करते हैं. उन मे गहराई है. नियंत्रण के साथ रेंज भी है. आवाज़ आप के भीतर तक गूँज जाती है.
कंटेंट , थीम और कॉंन्सेप्ट के लिहाज़ से बहुत बिखरा हुआ काम है. कुल मिला कर यह नॉस्टेल्जिया , अतीत प्रेम, बचपन का प्रेम, देश प्रेम, सामान्य प्रेम और चोचो प्रेम की गाथा का फिल्मांकन करने की सफल कोशिश है और शीर्षक ‘चेस्पा’ (प्रेम) एक दम सटीक है.
PS
मार्केट में रेट पता किया . 50/- मे दे रहे हैं. इतनी भारी नॉस्टेल्जिया और ढेर सारे प्रेम तत्व के लिए पचास कोई ज़्यादा नही है. और आप ऑरीजनल ही खरीदिये. कॉपी करने की प्रवृत्ति से बाज़ आएं. ऐसा कर के आप कला और संस्कृति के क्षेत्र में बेह्तर काम करने मे सहयोग देंगे.