इस बीतते वर्ष पर शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की चन्द अनमोल पंक्तियॉ...
*जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, *उस-उस राही को धन्यवाद
*जीवन अस्थिर अनजाने ही,
*हो जाता पथ पर मेल कहीं,
*सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
*तय कर लेना कुछ खेल नहीं
*दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
*सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
*जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, *उस-उस राही को धन्यवाद
*हो जाता पथ पर मेल कहीं,
*सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
*तय कर लेना कुछ खेल नहीं
*दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
*सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
*जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, *उस-उस राही को धन्यवाद
*साँसों पर अवलम्बित काया,
*जब चलते-चलते चूर हुई,
*दो स्नेह-शब्द मिल गये,
*मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई
*पथ के पहचाने छूट गये,
*पर साथ-साथ चल रही यादें
*जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, *उस-उस राही को धन्यवाद....
*जब चलते-चलते चूर हुई,
*दो स्नेह-शब्द मिल गये,
*मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई
*पथ के पहचाने छूट गये,
*पर साथ-साथ चल रही यादें
*जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, *उस-उस राही को धन्यवाद....