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Saturday, August 9, 2014

In Search of me

  • Shalini Garfa Thakur

    हमारी नई पीढ़ी के पास बहुत सुन्दर भाषा है और  और अभिव्यक्ति की तडप भी  भी बहुत  गहरी । हमें इस पर नाज़ होना चाहिये । इस कवि को कल ही फेस बुक पर पाया । इस  कवि ने मुझे याद दिलाया कि कई साल पहले  हम कुल्लू मे एक सेमिनार मे मिले थे । तब से अब तक लिख रही हैं ।  अद्भुत परिपक्वता है आप सब देखिये ।




  • What I had thought of life and what I found it to be.
I thought it was about seeing the world,
learning and knowing more,
I thought it was about being there and doing that
adventuring and living Life,
I thought it was about being wise and wealthy
Chunking those numbers and calculating profit-loss
I thought it was about religion and faith in god
debating love over war and seeking compassion.
I thought it was about being an artist or an activist
fighting wrong and saving the world...

But somewhere beneath this chaos I found serenity
Underneath the world I saw through my eyes
I began to see a world of peace through my insights!

And in a corner I found a girl smiling, happy to just be
I found me :

Saturday, January 25, 2014

The Inner Self


The Inner Self 


  • Sunita Katoch 





Every time I walk through my inner self 
I come across The fields of love
Where I reaped the love for humanity 
Mountains of hopes and expectations 
causing rains in my eyes 
Trees of responsibilities 
Giving me fruit of satisfaction 
Valleys of lust and desires
which fascinate me, tempt me 

Every time I walk through my inner self 
I feel more refined and more contended 
every time I walk through my inner self 
I come out as a new born baby

Friday, April 20, 2012

उभरते कवि - 3
शेर सिंह केलंग के निकट बीलिंग गाँव से संबन्ध रखते हैं . कविता के लिए मन मे सच्चा जुनून पालते हैं ।

Tuesday, March 13, 2012

पहाड़ बहुत उदास रहने लगा है



उभरते कवि - 2


लाहुल स्पिति के कुछ युवा हिन्दी कविता मे गहरी दिल्चस्पी ले रहे हैं ... सुनीता कटोच DIET तन्दी मे कार्यरत हैं और जाहलमा गाँव से सम्बन्ध रखती है. एकाध वर्षों से बहुत अच्छी कविता लिख रही हैं . उत्तरोत्तर ग्रो कर रही हैं. यह इन का अब तक का बेस्ट है . इसे पोस्ट करते हुए खुशी हो रही है . शुभ कामनाओं के साथ .

आज गाँव ने मेरे नाम चिट्ठी भेजी है

अपने बचपन से लेकर बुढ़ापे तक की बात लिखी है

खेतों से लेकर पहाड तक की बात लिखी है

चिट्ठी पढते पढते मैं भी मनो गाँव पहुँच गई

जो गलियाँ शाम होते ही बच्चे हो जाते थे

अब वो शाम होते ही बूढ़े हो जाते हैं

जिन गलियों ने हमारा बचपन लिखा

आज वो खामोश है

अब ना तो बच्चे इन गलियों में खेलते हैं

ना ही घरों की औरतें वहां एकत्रित होते है

सब अपने अपने घर तक सीमित रह गए हैं

गाँव के आँगन में फूल तो बहुत खिलते हैं

पर उन की खुशबुओं का आनंद कोई नहीं लेता

उन फूलों की खुशबुओं को

चारदीवारी लगा कर कैद कर लिया गया है

खेतों में अब नहीं दीखते बैलों के जोड़े

सब मशीनी हो गया है

पर औरतें अब भी भोर होते ही

खेतों से मिलने जाते है

नदी अब भी उतने ही जोश से बहती है

पर मन ही मन डरी रहती है

कि ना जाने कब उसकी स्वछंदता खत्म हो जाए

सामने का पहाड़ बहुत उदास रहने लगा है

सुना है उसे छेड़ने की तैयारी पूरी हो चुकी है

अगर यह पहाड़ और नदी टूट गए

तो मेरी मृत्यु भी निश्चित है

इनके होने से मैं अब तक जिंदा हूँ

फिर तो मेरे यह खामोश गालियाँ

और लहलहाते खेत भी मर जायेंगे

और उसके साथ मर जायेंगी

तुम्हारी सारी यादें

क्या सिर्फ उन यादों को जिंदा रखने के लिए

तुम वापिस नहीं आ सकते ?

मैं स्तब्ध थी

खामोशी ने मुझे घेर लिया

जिसे शहर के शोर ने तोड़ लिया

मीटींग ,वर्कशॉप ,और बच्चों का भविष्य

इन सब के बीच दब सी गई

चिट्ठी से उठती हुई आवाजों का शोर