Tuesday, July 10, 2012

कैसे मिला लाहुल-स्पिति को जनजातीय दर्जा,
इतिहास के कुछ पन्‍ने मेरी डायरी से

---(राहुल देव लरजे) 


            भारत का संविधान लागू होने के पश्‍चात सन 1952 में आजाद भारत में प्रथम चुनाव किए गए।लाहौल को पंजाब राज्‍य के कुल्‍लू संविधान क्षेत्र में रखा गया और 26 जनवरी का दिन वोट देने का दिन निश्चित किया गया।समस्‍त लाहौल वासियों के लिए कुल्‍लू क्षेत्र के वशिष्‍ठ एवं स्पिति वासियों के लिए कलाथ को पौलिंग स्‍टेशन बनाया गया।जैसा कि लाहौल जनवरी माह में बर्फबारी के कारण स्‍वाभाविक तौर पर बन्‍द रहता था,अत्‍ाःचुनाव की तिथि जनवरी माह में होने की वजह से लाहौल-स्पिति के लोगों में बेहद निराशा थी।उस समय कुल्‍लू पहुंचने के दोनों रास्‍ते जो कि रोहतांग और कुजंम दर्रा थे,दोनों शीतकाल में बर्फबारी की वजह से बन्‍द थे।

Lahoulians casting their votes
                                    ठीक इसी वर्ष जाहलमा गांव के लाहौर में शिक्षित युवा श्री शिव चंद ठाकुर और वरगुल के श्री देवी सिंह ठाकुर ने गलत समय में चुनाव कराए जाने की वजह से समस्‍त लाहौल वासियों को इन राष्‍ट्रीय चुनावों का बहिष्‍कार करने का आग्रह किया।इन चुनावों के विरोध में कई जगह जूलूस भी निकाले गए।अन्‍ततःभारत सरकार ने जायज मांग को स्‍वीकार करते हुए पुनः23 मार्च 1952 को लाहौल-स्पिति वासियों के लिए चुनाव का दिन चुनने का निर्णय लिया।किन्‍तु यहां की जनता ने इस तिथि का भी घोर विरोध किया।ततपश्‍चात पंजाब राज्‍य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने स्थि‍ति का जायजा लेने का निर्णय लिया।

            अतःलाहौल के जनता के कुछ प्रतिनिधियों के दल को दिल्‍ली से बुलावा आया।ठाकुर देवी सिंह एवं शिव चंद ठाकुर तुरन्‍त दिल्‍ली रवाना हुए और वहां तत्‍कालीन प्रधानमन्‍त्री पंण्डित जवाहर लाल नेहरू,रक्षा मन्‍त्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल एवं कानून मन्‍त्री बी.आर.अम्‍बेदकर से मिले और उन्‍हें लाहौल-स्पिति की समस्‍या से अवगत कराया।उचित समय देखते हुए इन्‍होनें लाहौल-स्पि‍ति को संवेधानिक तौर पे जनजातीय दर्जा देने की मांग रख दी।

       प्रधानमन्‍त्री नेहरू ने स्‍िथ्‍ाति का वास्‍तविक जायजा लेने के लिए अपने निजी नुमायदे श्रीकान्‍त को लाहौल्‍ा भेजने का निर्णय लिया।जब श्री कान्‍त लाहौल पहुंचे तो वहां के पिछडेपन से रूबरू हुए।उन्‍होने देखा कि समस्‍त इलाके में सडक,बिजली और अस्‍पताल भी मुहया नहीं हुए थे।उन के अनुसार उस समय समस्‍त लाहौल घाटी में मात्र 4 स्‍कूल उपलब्‍ध थे।लाहौल की जनता ने उपयुक्‍त समय देखते हुए उन से एक अलग जनजातीय परिषद की मांग भी उन के समक्ष रख दी।

Blue shaded area is L & S
             अपनी लाहौल यात्रा के पश्‍चात श्रीकान्‍त ने अपनी रिपोर्ट दिल्‍ली में भारत सरकार को सौंप दी।अन्‍ततःसन 1956 में अनुसूचित जनजातीय अधिनियम संशोधन के द्वारा भारत सरकार ने लाहौल-स्पिति को जनजातीय जिला घोषित कर दिया।इस के 4 वर्ष के पश्‍चात सन 1960 में इसे पंजाब राज्‍य के एक पृथक जिले का दर्जा दिया गया।इस से पूर्व य‍ह कुल्‍लू जिले का एक तहसील मात्र था।

      सन 1966 के पंजाब पुर्नगठन अधिनियम के द्वारा पुनःलाहौल-स्पिति को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दोहराया गया और यह हिमाचल राज्‍य का एक सम्‍पूर्ण हिस्‍सा बना।इस के पश्‍चात सन 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्‍य का दर्जा मिलने से सन 1975 में चम्‍बा लाहौल का क्षेत्र जिस में उदयपुर से तिंदी तक का इलाका आता था,को भी लाहौल में जोड दिया गया।ततपश्‍चात लाहौल जिला को भारतीय संविधान के समय-समय के जनजातीय आदेशों के तहत एवं अनुसूची 342(1) के अनुसार जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया जाता रहा है।

2 comments:

Vinod Dogra said...

धन्यवाद राहुल जी...बेहद ज्ञानवर्धक जानकारी.नयी पीढी को ये जानकारी होना बहुत जरूरी है.

Roshan Lal Thakur said...

good Dear Rahul few more stories are rqd